मनुज को खोज निकालो ( श्री सुमित्रानंदन पंत ) Find Manuj (Shri Sumitranandan Pant)
आज मनुज को खोज निकालो। जाति, वर्ण, संस्कृति, समाज से.
मूल व्यक्ति को फिर से चालो।
देश-राष्ट्र के विविध भेद हर,
धर्म-नीतियों में समत्व भर,
रूदि-रीति गत विश्वासों की
अंध- यवनिका आज उठा लो। आज मनुज को खोज निकालो।
भाषा-भूषा के जो भीतर,
श्रेणि-वर्ग से मानव ऊपर,
अखिल अवनि में रिक्त मनुज को
केवल मनुज जान अपना लो। आज मनुज को खोज निकालो।
राजा, प्रजा, धनी और निर्धन
सभ्य, असंस्कृत, सज्जन, दुर्जन
भव-मानवता से सबको भर, खंड-मनुज को फिर से ढालो। आज मनुज को खोज निकालो।
अभ्यास
पाठ से
1. मूल व्यक्ति को कवि ने कहाँ से खोज निकालने को कहा है ?
उत्तर-
2. कवि ने मानव समाज में फैली किन-किन विविधताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर-
3. मूल व्यक्ति से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
4. आज समाज में व्यक्ति-व्यक्ति के बीच किस प्रकार के भेद उत्पन्न हो गए हैं ?
उत्तर-
5. इस कविता में कवि ने ‘खंड मनुज’ का प्रयोग किया है। इससे आप क्या समझते है
उत्तर-
6. कवि किस अंध यवनिका को उठाने की बात कह रहा है ?
उत्तर-
7. वर्गों में बँटा हुआ मनुष्य किस प्रकार पूर्ण मनुष्य बन सकता है ?
उत्तर-
8. रुढ़ि रीतिगत विश्वासों को मिटा देने की बात कवि ने क्यों की है ?
उत्तर-