हिरोशिमा की पीड़ा ( श्री अटल बिहारी वाजपेयी ) The Pain of Hiroshima (Shri Atal Bihari Vajpayee)
किसी रात को
मेरी नींद अचानक उचट जाती है.
आँख खुल जाती है,
मैं सोचने लगता हूँ कि जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का भीषण नरसंहार के समाचार सुनकर
आविष्कार किया था:
वे हिरोशिमा नागासाकी के
रात को सोए कैसे होंगे ?
दाँत में फंसा तिनका,
आँख की किरकिरी,
पाँव में चुभा काँटा,
आँखों की नींद,
मन का चैन उड़ा देते हैं।
सगे-संबंधी की मृत्यु
किसी प्रिय का न रहना,
परिचित का उठ जाना
यहाँ तक कि पालतू पशु का भी बिछोह हृदय में इतनी पीड़ा, इतना विषाद भर देता है
कि चेष्टा करने पर भी नींद नहीं आती करवटें बदलते रात गुजर जाती है।
किंतु जिनके आविष्कार से
वह अंतिम अस्त्र बना
जिसने छः अगस्त उन्नीस सौ पैंतालीस की काल रात्रि को हिरोशिमा-नागासाकी में मृत्यु का तांडव कर दो लाख से अधिक लोगों की बलि ले ली. हजारों को जीवन भर के लिए अपाहिज कर दिया
क्या उन्हें एक क्षण के लिए सही यह
अनुभूति हुई कि उनके हाथों जो कुछ हुआ अच्छा नहीं हुआ ? यदि हुई, तो वक्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा किंतु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।
– अटल बिहारी वाजपेयी
पाठ से.
- हिरोशिमा और नागासाकी नामक स्थान कहाँ स्थित है?
उत्तर-
२. कवि की नींद अचानक किसी रात को क्यों उचट-उचट जाती हैं?
उत्तर-
3. कवि का हृदय विषाद से क्यों भर जाता है?
उत्तर-
4. विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम कहाँ गिराया गया था?
उत्तर-
5. कविता में किस तिथि को ‘कालरात्रि’ कहा है और क्यों?
उत्तर-
6. उस भीषण नरसंहार में कितने लोगों की बलि चढ़ी?
उत्तर-
7. कवि वैज्ञानिकों से किस प्रकार की अनुभूति की अपेक्षा करता है और क्यों?
उत्तर-